Hello friends, कहते है कि "आसमा पर ठिकाने किसी के नहीं होते, जो जमी के नहीं होते वो कहीं के नहीं होते" | दोस्तों आप कितनी भी success पा ले, कितनी भी शोहरत पा ले, चाहे कहीं भी अपना नाम लिखा लो | लेकिन अगर आप के relation अच्छे नहीं है, अगर अपनी खुशियों को celebrate करने के लिए आपकी Life में कोई अपना नहीं है तो आप खुद को आधा और अधूरा महसूस करेंगे |
फिर चाहे आप दुनिया के लिए successful हो जाएं, लेकिन खुद के लिए एक failure ही रहेंगे | दोस्तों, जब मैं पहले personal counseling करता था, तो मेरे पास 90% clients बस रिश्तो कि problem को ले कर ही आते थे, कुछ एक-आधा की ही कोई psychological problem होती थी |
उनमें से maximum लोगों की problem बहुत ही छोटी सी होती थी | इतनी मामूली कि सुनकर हंसी आ जाए और उसका impact ऐसा होता था | कई के relation खराब हो चुके होते थे या फिर वो divorce लेने वाले होते थे | कई अपने Job को छोड़ चुके थे | कई anxiety एवं depression की गोलियां खा रहे थे |
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आज मैं आपको कुछ ऐसे psychology के tools बता रहा हूं, जिससे कि आप अपने रिश्तो को फिर से हरा भरा कर सकते हैं | रिश्ते की बगिया में फिर से एक मिठास घोल सकते हैं और अपने जीवन को फिर से मधुर और आनंदाई कर सकते हैं |
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अपने relation को हमेशा तरो-ताजा रखने के लिए psychology के tools-
१)Uproots The Weeds Of Relationship (खरपतवार को उखाड़ फैंको )
अगर आप कोई बगीचा लगा रहे हो | तो वहां पर कुछ खरपतवार भी उगेगी, वहां पर कुछ घास या ऐसे पौधे भी उगेंगे जो कि आप के plant के nutrition को खा जाते हैं | लेकिन आपको क्या करना होता है, आपको अपने plant को छोड़ कर उन Weeds(खरपतवार) को उखाड़ फेंकना होता है |
वही काम हमें रिश्तो के साथ भी करना होता है, जब 2 लोग साथ रहेंगे तो उनके बीच में कुछ मनमुटाव भी होंगे, उनके बीच में कुछ conflicts भी होंगी, उनके बीच में कुछ arguments भी होगी | परन्तु ये आपका कर्तव्य है कि आप उन बातों(problems) को भूलना सीखें, ignore करना सीखो |
अपने partner कि गलतियों को forgive करना सीखें, इस तरह से जब आप छोटी-छोटी चीजों को, छोटे-छोटे खरपतवार को निकाल कर फेंक देंगे तो आप के रिश्तो की बगिया हमेशा हरा-भरा बनी रहेगी | किस दिन क्या बुरा हुआ भूलकर क्या अच्छा हुआ पर ध्यान लगाएंगे तो सब अच्छा होगा |
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२)Change Focus from what is missing to How can we fill gap
दोस्तों कहते है कि “Variety and Deficiency is the Language That God Speaks” | कोई भी चीज complete नहीं हो सकती और कोई भी चीज हमेशा परिपूर्ण नहीं रह सकती | वो ही हाल हमारे रिस्तो के साथ भी होता है | जब कभी भी हम किसी relation का निर्माण करते है, उसमे कुछ problems आएँगी ही लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम उन problems को ही बढ़ाते रहे |
उन बातों(problems) पर ही अपना focus करें और उन चीजों को ही बार-बार criticize करते रहे | अपने रिश्तो को बेहतर करने का simple सा तरीका ये है कि हम ये देखें कि चलो life में problem है, इसको तो accept कर लिया, अब हम इसका solution कैसे कर सकते हैं ? और जिस भी चीज़ की कमी है उसको हम फिर से कैसे create कर सकते हैं |
उदाहरण-
किसी दम्पति के पास समय नहीं है एक दूसरे के लिए | समय नहीं है तो देखें की उनका common interest क्या है | 1 घंटा निकाले और साथ में उस काम को करें |
जब इस तरीके से आप criticizer के बजाय 1 creator बनते हो तो आप ये देखोगे कि आपके relation drastically change करने लगते हैं |
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३)Give to Get
दोस्तों, अक्शर relation में हम focus करते हैं कि हमें क्या मिला ? , हमें कितनी इज्जत मिली या हम क्या expect कर सकते हैं |
कहानी-
किसी philosopher ने एक कहानी सुनाई थी कि जब कभी भी एक रिश्ता बनता हैं वो 2 भिखारियो के बीच होता हैं | उसमे लड़के के पास एक कटोरा होता है कि तुम मुझे क्या दे सकती हो ? और वहीं लड़की के पास भी अपने लिए उम्मीदों का एक कटोरा होता है कि आप मुझे क्या दे सकते हो |
जब एक भिखारी दूसरे भिखारी से मिलता है, कुछ लेने के लिए तो यहां सवाल ये उठता है कि एक भिखारी दूसरे भिखारी को आखिर देगा तो क्या देगा | आपको यहाँ ये समझना पड़ेगा कि आप सिर्फ ये ना देखें कि मुझे क्या मिल सकता है ?, बल्कि आप इस पर focus करें इस relationship को मैं, क्या दे सकता हूं ?
मैं अपना time दे सकता हूँ, मैं अपना attention दे सकता हूँ, मैं care दे सकता हूँ अपनी understanding दे सकता हूँ या फिर और क्या दे सकता हूं | दोस्तों paradox ये है कि जब आप देना शुरू करते हैं तो वो चीजे automatically आपको मिलने लगती है जो कि आपकी basic needs है या जो चीजे आप दिल से चाहते हैं |
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४)Think about “WE” rather than “ME”
दोस्तों आज कल की इस दुनिया ने हमें self-centered होना सिखाया गया है | हमें ये सिखाया गया है कि तुम अपने आप पर focus करो कि तुम क्या ले सकते हो ? , या फिर तुम्हारे लिए क्या हो रहा है, तुम्हे कितनी significance मिली | मतलब की बस अपना काम निकालो |
इसका परिणाम ये होता है कि जब हम कोई planning करते हैं या फिर कुछ सोचते हैं तो हम ये सोचते हैं कि मैं centre में हूं और मैं अपने फायदे के हिसाब से अपने रिश्तों का इस्तेमाल किस तरह कर सकता हूँ | लेकिन जब भी आप किसी relationship में जाते हैं तो वहां पर ये ME नहीं है, ये शब्द WE है |
जब भी planning करें तो हम के लिए करे | इसमें हमारा फायदा क्या होगा हम किसी काम को कैसे कर सकते है, हम ज्यादा खुश कैसे हो सकते हैं | इस तरह से जब आप 1 unit के बजाएं, 1 family कि तरह सोचना शुरू करेंगे तो आपके relation automatically अच्छे होने लगेंगे |
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5)Take your time to find what is the need and requirement of your partner
दोस्तों कई बार ऐसा होता है कि हम काम के pressure में, ego के चक्कर में सिर्फ अपनी ही दुनिया में और अपने आप पर या जो हमें अच्छा लगता है उस पर ही focus करते हैं | हम ये भूल जाते हैं कि हमारा partner या उसकी खुशी भी हम पर ही dependent है |
तो इसके लिए हमें ये चाहिए कि हमें कुछ समय ऐसा जरूर देना चाहिए जिसमें कि हम अपने partner की जरूरतों पर Focus कर सकें | जिसमें हम ये देख संके हम अपने partner को और खुश कैसे कर सकते हैं | उसकी क्या जरूरते है, आखिर उसकी आत्मा कि पुकार क्या है |
जब आप ऐसा करना शुरू करते हो, अपने partner की जरूरतों को ध्यान में रखकर कोई भी कदम चाहे वो कितना ही छोटा क्यों ना हो आप उठाना शुरू करते हो तो आप ये देखोगे एक व्यापक सी energy, एक अलग सी energy आपके रिश्तो में आने लगी है | आपके रिश्तों में एक अनोखी सी मिठास आने लगी है |
दोस्तों मैं आपको ये बताना चाहता हूं कि आजकल रिश्तो की problem इतनी बढ़ गई है छोटे-छोटे मनमुटाव भी ऐसी direction ले लेते हैं | जहां की divorce हो जाया करता हैं | मैं ये चाहता हूं कि आप अपने रिश्तो को बेहतर करें अगर आपके दिल में कोई भी सवाल है तो comment box में आप लिख सकते हैं |
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Dr Peeyush Prabhat