ध्यानियों या meditators का एक बहुत ही common सा सवाल है | आप कहते हो कि ध्यान में एक द्रष्टा-भाव रखो, observe करो, witness बनो | ये द्रष्टा भाव है क्या? आखिर ये witnessing क्या है? दोस्तों, इस “BLOG” में मैं आपको बताऊंगा- ये witnessing क्या है ? इसको हम कैसे कर सकते है | Observing(द्रष्टा भाव) इसमें क्या magic है ? मै वो भी आपको इस “BLOG” में बताने बाला हूँ- इसलिए अंत तक बने रहिये |
कृष्णमूर्ती कहते थे- जब भी आप neutral हो कर, अपने मन को देखते हो, उस समय आपकी पूरी कि पूरी personality की गठरी आपकी आँखों के सामने खुलने लगती है | जब ये गठरी जिसमे कि क्रोध भी है, अहंकार भी है, जिसमे कि परेशानिया भी है, किसी ने गाली दी वो दुःख भी है, बच्चे हमारी बात नहीं सुन रहे इस बात कि परेशानी भी है, जो भी चिंताये, तनाव, stress जो भी है, वो सब कुछ आपके सामने है | और अब आप इसकी सफाई कर सकते हो, इसको खाली कर सकते हो, इसको प्रेम से भऱ सकते हो |
यही बात गौतम बुद्धा भी, अपने शिष्यों को समझाते थे | एक बार उन्होंने आनंद से कहा- जाओ नदी से पानी ले कर आओ, जब आनंद पानी लेने जाते है तो देखते है कि वहां से एक बैलगाड़ी गुजरी है | इसके कारण पूरा का पूरा पानी गंदा हो चुका है | आनंद वापस आते हैं और कहते है पानी पीने के योग्य नहीं है |
गौतम बुद्ध 1 घंटे बाद पुनः आनंद को वहां भेजते है | आनंद ये देख कर चकित रह गये, पानी जिसमे पत्ते थे, जिसमे धुल थी, जिसमे मिट्टी थी, जिसमे कीचड़ थी, वो गन्दा पानी बिल्कुल साफ हो गया | जब वो पानी लेकर गौतम बुद्ध के पास आते हैं, गौतम बुद्ध ने कहा कि तुम्हारा मन भी जल की तरह ही है | इसे जैसा ही शांत छोड़ दो और मन पानी की तरह साफ़ हो जायेगा |
नदी के पानी कि तरह, तुम्हारी सारी वासनाएँ, दुख वो सब अपने आप गायब होने लगता है, यही तो ध्यान है | दोस्तों, ये बात गौतम बुद्धा को बहुत पहले पता थी |
इसी बात को "QUANTUM PHYSICS" ने भी खोजा | उन्होंने "double slit" experiment किया | इस experiment मे एक card board लिया गया और इस पर २ छेद बनाये गये | इसको खड़ा रखा गया, इसमें एक ओर(साइड) से इलेक्ट्रान कि बीम गुजारी गयी और दूसरी ओर एक screen लगाई गयी | देखा गया इलेक्ट्रान कभी-कभी पदार्थ बन जाती है और कभी-कभी energy बन जाते है | मतलव कभी-कभी ये ऊर्जा भी बन जाते है और कभी-कभी ये द्रव्य | जब screen के पास एक microscope रखा गया तो देखा गया कि इलेक्ट्रान ने अपने nature को बदल दिया |
दोस्तों, अब इसका मतलब क्या है- इलेक्ट्रान जैसे छोटे particle भी observation से बदल जाते हैं तो आपका मन आपका शरीर observation से क्यों नहीं बदलेगा |
आपके दिमाग में एक सवाल जरूर होगा की observation से होने वाला बदलाव positive होगा या negative ? इस बात को समझने की कोशिश करो जब तक मालिक घर में जाग रहा है कोई भी चोर चोरी नहीं कर सकता है | क्योंकि वहाँ पर observation की ऊर्जा हे, वहाँ पर चेतना हे, उसी तरह से जब भी आप किसी भी object को/अपने मन को observe करते हो, उस समय में जो बदलाव आता है और वो positive होता है |
ब्लॉग को यूट्यूब पर देखने के लिए है-
अब में आपको बताने जा रहा हूँ की "witness" करने के तरीके क्या-क्या है तो मैं २ module आज आपके सामने रख रहा हूँ जो भी आपको अच्छा लगे उसको अजमा सकते है |
१) एक बच्चा और माँ का EXAMPLE
मैं एक बार पार्क में गया था, मैंने देखा वहाँ एक २-२.५ साल का बच्चा गेंद से खेल रहा है | उसी पार्क में उसकी माँ एक bench पर बैठी हुई है, बच्चा कभी गिरता है फिर से उठ जाता है, कभी गेंद को चाटता है कभी गेंद को पटकता है, कभी गेंद को उछाल देता है, कभी घास उखड़ता है लेकिन उसकी मां बस उसको देख रही है |
वो कुछ भी नहीं करती, न उसकी मदद करती हे और न उसको डाटती है क्योकि उसे पता हे यहाँ कोई खतरा नहीं हैं | वो बस उसको देखती जाती है, यही आपको अपनी सांसों के साथ करना है | जब भी आप आनापानसति या विपश्यना या और कोई “MEDITATION”, कर रहे हैं आप अपनी सांस या संवेदना को देखें, महसूस करे | उसे बदलने या परखने की कोई जरूरत नहीं है |
इसे समझने के लिये आप मेरे साथ ये experiment कर सकते है -
आंखे बंद करे 1 मिनट के लिए और आप feel करें क्या आप बैठे हैं इस बात को महसूस कर पा रहे हैं,
क्या आपके नाक में हवा अंदर जा रही है या आप साँस ले रहे है इसको महसूस कर पा रहे हैं |
बस यह महसूस करना ही OBSERVATION(द्रष्टा भाव) है | बस जो आप महसूस कर रहे हैं, उसे वैसा ही महसूस करें | आप उस चेतना के भी साक्षी बने, जो इस को observe कर रही है | आप ये भी महसूस करे की आपकी नासिका के अग्रभाग में कुछ हलचल हो रही है, अंदर आती हुई सांस ठंडी है और बाहर निकलती हुई वायु थोड़ी गर्म है, आपके पेट में जो हलचल है आपका पेट up-down जा रहा है क्या आप इसको महसूस कर पा रहे हैं, बस यही OBSERVATION(द्रष्टा भाव) है | जब आप इसको observe करे और इसको बदलने की कोशिश बिल्कुल भी ना करे |
२) MODEL OF AQUARIUM
AQUARIUM(मछली घर) को देखना मेरा favorite time pass है | मैं पार्क में आसमान के तारों को देखता रहता हूं और गिनता रहता हूँ या फिर मैं मछलियों को देखता हूं | आप “मछली घर” को या मछलियों के mind and thought को कैसे observe करते हैं ये मै नहीं जनता |
मैं इसके mind and thought को ऐसे observe करता हूं, कोई मछली नीचे जा रही है, कोई मछली ऊपर जा रही है, कभी २ मछलिया आपस में टकरा जाती है और फिर अपने रास्ते अलग कर लेती है, कभी वो नीचे घास को खाती है, कभी वो चारे को खाती है, मैं उनकी हलचल में उनको कोई disturb नहीं करता, इसमें कोई change करने की कोशिश नहीं करता, उसको कोई आदेश नहीं देता, कोई परामर्श नहीं देता, कोई command नहीं देता |
इसी तरह से आप अपने mind and thought को observe करने की कोशिश करें, यह थोड़ा मुश्किल है | Module, example के साथ बिल्कुल fit बैठता है | जब आप, अपने mind and thought को observe करें तो हो सकता है की sexuality के विचार आने लगे, आपको गुस्सा आने लगे, किसी ने आपको गुस्सा दिलाया हो वो विचार आपके सामने आते हो, लेकिन आपको एक सहज भाव से उसको देखते रहना है, उसको अंत तक देखना है, उन विचारों में खोना नहीं हैं |
दोस्तों हमारे मन का स्वभाव कैसा है ? जब हम खुद के "witness" नहीं होते है तो हम मन के या आवेग के गुलाम बन जाते हैं | उदाहरण के लिए की हमें क्रोध आया तो क्रोध हमारे brain के ऊपर बैठ जाता है | वही सारे बिचार हमारे मन में चलने लगते हैं जो कि हमें और हमारी सोसाइटी को "harm" पहुंचा सकते है | जिस क्षण आप देखना शुरू करते है, आप उस कुचक्र से बाहर आ जाते हैं |
आप इनको सीखने की कोशिस करे, ध्यान बिल्कुल भी difficult नहीं है |
दोस्तों, मेरे साथ बने रहने के लिए धन्यवाद | अगर ये “BLOG” पसंद आये तो अपने दोस्तों को जरूर भेजें |
THANK YOU
Dr Peeyush Prabhat